70th BPSC Re Exam: बिहार लोक सेवा आयोग (BPSC) की 70वीं संयुक्त प्रारंभिक परीक्षा (CCE) दिसंबर 2024 और जनवरी 2025 में आयोजित हुई थी। इस परीक्षा को लेकर पेपर लीक, परीक्षा केंद्रों में अव्यवस्था, और पुनर्परीक्षा में अनियमितता के गंभीर आरोप लगे, जिसके बाद पटना हाईकोर्ट में कई याचिकाएं दायर की गईं। 16 जनवरी, 2025 को पहली सुनवाई के बाद से अदालत ने कई महत्वपूर्ण निर्देश जारी किए हैं। इस ब्लॉग में, हम परीक्षा विवाद के नवीनतम अपडेट, कोर्ट के निर्णयों, और भविष्य की संभावनाओं पर विस्तृत चर्चा करेंगे।
70TH BPSC परीक्षा विवाद की पृष्ठभूमि
1. प्रारंभिक परीक्षा (13 दिसंबर, 2024):
- 4 लाख उम्मीदवारों ने 912 केंद्रों पर परीक्षा दी, लेकिन कई केंद्रों पर जैमर न होने, प्रश्नपत्र सोशल मीडिया पर लीक होने, और परीक्षार्थियों को अंतिम समय में केंद्र बदलने के आरोप सामने आए।
- कुछ केंद्रों (जैसे पटना का बापू परीक्षा भवन) में अव्यवस्था इतनी गंभीर थी कि 4 जनवरी, 2025 को 22 केंद्रों पर पुनर्परीक्षा आयोजित की गई
2. पुनर्परीक्षा (4 जनवरी, 2025):
- इस परीक्षा में 6 अंकों का विवादास्पद निर्णय लिया गया, जहां तीन प्रश्न गलत पाए गए और दो पुराने प्रश्नपत्र से लिए गए थे।
- याचिकाकर्ताओं ने आरोप लगाया कि पुनर्परीक्षा में भाग लेने वाले उम्मीदवारों को अनुचित लाभ मिला, जबकि अन्य वंचित रहे।
पटना हाईकोर्ट की प्रमुख सुनवाइयाँ और निर्देश
1. 6 जनवरी, 2025: परिणामों पर रोक और काउंटर एफिडेविट का आदेश
- न्यायमूर्ति अरविंद सिंह चंदेल की एकल पीठ ने परीक्षा परिणामों की घोषणा पर रोक लगाने से इनकार किया, लेकिन स्पष्ट किया कि परिणाम याचिका के अंतिम निर्णय पर निर्भर होंगे।
- BPSC और राज्य सरकार को 30 जनवरी तक काउंटर एफिडेविट दाखिल करने का निर्देश दिया गया।
- अगली सुनवाई 31 जनवरी के लिए तय हुई।
2. 31 जनवरी और 4 फरवरी: सुनवाई स्थगित
- 31 जनवरी को न्यायाधीश की छुट्टी के कारण सुनवाई नहीं हो सकी।
- 4 फरवरी को भी बेंच की अनुपलब्धता के चलते सुनवाई टल गई। इस दौरान, प्रदर्शनकारी उम्मीदवारों ने 8 घंटे तक उग्र प्रदर्शन किया, जिसमें पुलिस के साथ झड़पें हुईं।
3. 14 फरवरी, 2025: CCTV फुटेज सुरक्षित रखने का आदेश
- न्यायमूर्ति आशुतोष कुमार और न्यायमूर्ति पार्थ सारथी की खंडपीठ ने परीक्षा केंद्रों के CCTV फुटेज को सुरक्षित रखने का आदेश दिया।
- राज्य सरकार और BPSC को जवाब दाखिल करने के लिए अतिरिक्त समय दिया गया। अगली सुनवाई 28 फरवरी, 2025 को निर्धारित हुई।
याचिकाकर्ताओं की मुख्य मांगें
1. परीक्षा रद्द कर नई परीक्षा आयोजित करना:
- याचिकाकर्ताओं का दावा है कि धांधली के कारण परीक्षा की विश्वसनीयता समाप्त हो गई है
2. पुनर्परीक्षा में अनियमितता की जाँच:
- 4 जनवरी की पुनर्परीक्षा में गलत प्रश्न और पक्षपातपूर्ण निर्णयों की शिकायत
3. प्रदर्शनकारियों के खिलाफ FIR वापस लेना:
- जनसुराज पार्टी और अन्य याचिकाकर्ताओं ने प्रदर्शन के दौरान दर्ज FIR को रद्द करने की मांग की
राजनीतिक और सामाजिक प्रतिक्रिया
- प्रशांत किशोर का अनशन: जनसुराज पार्टी के प्रमुख ने 2 जनवरी से अनशन शुरू किया, जो 15 दिनों तक चला। उन्होंने परीक्षा रद्द करने और पारदर्शी जाँच की मांग की।
- सुप्रीम कोर्ट का रुख: आनंद लीगल एंड फोरम ट्रस्ट की याचिका को खारिज करते हुए SC ने पटना हाईकोर्ट का रुख करने को कहा।
70th BPSC में होने वाली धांधली को आसान भाषा में समझाने का कार्य लिए है वकील: –Abhijit aanand sir
भविष्य की संभावनाएँ और निष्कर्ष
1. 28 फरवरी की सुनवाई:
- CCTV फुटेज की जाँच और BPSC का जवाब निर्णायक भूमिका निभाएगा।
2. उम्मीदवारों की चिंताएँ:
- लाखों अभ्यर्थी अनिश्चितता के बीच फंसे हैं। कई ने मांग की है कि यदि पेपर लीक नहीं हुआ है, तो परीक्षा रद्द न की जाए
3. प्रशासनिक सुधार की आवश्यकता:
- BPSC को परीक्षा प्रक्रिया में पारदर्शिता लाने और तकनीकी खामियों (जैसे जैमर की कमी) को दूर करने की जरूरत है।
अंतिम विचार
पटना हाईकोर्ट का 28 फरवरी का निर्णय न केवल BPSC 70वीं परीक्षा का भविष्य तय करेगा, बल्कि बिहार में सरकारी भर्ती प्रक्रिया की विश्वसनीयता पर भी प्रभाव डालेगा। उम्मीदवारों और हितधारकों को अदालत के आदेशों का धैर्यपूर्वक इंतजार करना चाहिए। इस मामले ने प्रतियोगी परीक्षाओं में सुधार की आवश्यकता को भी रेखांकित किया है।
लेखक: (शुभम कुमार साह)
तिथि: 15 फरवरी, 2025
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